तंजावूर का धर्मराज्य
अनजान लोगों के भी जो अनाथ बच्चे छत्र में आ पहुँचते हैं , उन सबको शिक्षक को देखभाल में रखा जाता है। उन्हें दिन में तीन समय भोजन दिया जाता है और प्रतिचौथे दिन उनका तेल से अभ्यञ्जन होता है। आवश्यकता पड़ने पर उन्हें औषधि एवं समय - समय पर वस्त्र उपलब्ध करवाये जाते हैं , और उनकी सब प्रकारले समुचित देखभाल करने के सब प्रयास किये जाते हैं।
जिस किसी विद्या में उनको रुचि हो उन्हें उस विद्या में शिक्षा दिलवाई जाती है, और जब वे अपनी रुचिके विषय में पारङ्गत हो जाते हैं तो उनके विवाह का व्यय छन उठाता है। छत्र में पहुँचकर जो यात्री अस्वस्थ हो जाते हैं उनके लिये औषध एवं समुचित अन्नपान का प्रबन्ध किया जाता है और स्वस्थ होने तक सम्मान एवं स्नेहपूर्वक उनकी सेवा - शुश्रूषा की जाती है।
शिशुओं के लिये दूध दिया जाता है। गर्भवती महिलाओं की विशेष स्नेहपूर्वक देखभाल की जाती है। उनमें से जिनका गर्भ छन में रहते हुए पूर्ण हो जाता है उनके प्रसव का व्यय छन्त्र उठाता है। उनके लिये समुचित औषधियाँ उपलब्ध करवायी जाती हैं और प्रसव के पश्चात् तीन महीने तक उन्हें छत्र में रहने की अनुमति होती है। तंजावूर राज्य अपने दान - पुण्य के लिये जगत में प्रसिद्ध है। इसे धर्मराज्य के नाम से जाना जाता है। इस नामके कारण समस्त राज्यों में मुझे जो विशेष सम्मान प्राप्त होता है उसे में अपने पद का सर्वोच्च गौरव मानता हूँ।
ऐसा राज्य धर्मराज्य ही होगा🙏🙏🙏
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