महान सभ्यता का वाहक: भारत

भारतीय सभ्यता अनेक सहस्राब्दियों तक मानवीय उपलब्धि के समस्त क्षेत्रों में विश्व की अग्रणी रही है। हम ऐसी महान् सभ्यता के वाहक हैं।

 स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत के लोगों ने विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्र-निर्माण के सघन प्रयास किये हैं , तथापि भारत अपने समकक्ष गिने जाने वाले विश्व के अन्य देशों से बहुत पीछे दिखाई देता है । हमें गम्भीरता पूर्वक विचार करना चाहिये कि कैसे हम अपने वर्तमान को अपनी इस गौरवशाली परम्परा के अनुरूप वैभवशाली बना सकते हैं , कैसे हम अपनी सहज महत्ता को आज के विश्व में पुनःस्थापित कर सकते हैं । 

इस पेज में भारत के सहज सम्पन्न भृगोल , भारत भूमि को प्राप्त अद्वितीय प्राकृतिक सम्पदाओं , भारतके लोगों को विलक्षण भौतिक , तकनीकी एवं सामाजिक दक्षताओं , भारतीय संस्कृति को अनुपम सामाजिक एवं आध्यात्मिक उपलब्धियों , और भारतीय सभ्यताके सुदीर्घ एवं निर्बाध प्रवाह में परिष्कृत हुए अनन्य विचारों एवं संस्थानों का वर्णन हुआ है ।

इतिहास में भारतीय सभ्यता के सतत प्रवाह में आये व्यवधानों और उनसे उपजे विभ्रम एवं दारिद्रय का किञ्चित् उल्लेख भी समझना आवश्यक है साथ ही महात्मा गाँधी के नेतृत्व में लड़े गये विलक्षण धर्मनिष्ठ स्वतन्त्रता - संग्राम और गत - छ : सात दशकों के स्वतन्त्र जीवनसे भारतीय गौरव के पुनर्जागरण , भारतीय विचारों , संस्थानों एवं भौतिक सम्पदाओं की पुनःस्थापना , और भारत के सार्वजनिक जीवन में सामाजिक , आध्यात्मिक एवं भौतिक समृद्धि के प्रत्यावर्तन की प्रक्रिया का वर्णन भी है । यह पेज एवं इससे जुड़ी प्रदर्शनी भारतभूमि एवं भारत के लोगों की यशोगाथा है । इस यशोगाथा के माध्यम से भारतवर्ष को अपनी सहज महिमा का स्मरण करवाने का प्रयास किया गया है । इस आशा के साथ कि यह प्रयास भारतीय सभ्यता के चिर-प्रतीक्षित पुनरुत्थान को गति देने में सहायक होगा।

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