भारतकी अन्य महान नदियाँ
महान सभ्यताओं को जन्म देती हैं। विश्व की अधिकतर प्रमुख सभ्यताओं का उदय किसी एक महान् नदी अथवा किसी नदीद्वयपर ही हुआ है। मिस्र की सभ्यता का उद्भव नील नदी के तटपर हुआ। मेसोपोटेमिया युफरेट्स एवं टिग्रिस नदियों पर पनपी। यूरोपीय सभ्यता दान्यूब नदी से उत्पन्न एवं पोषित हुई।
भारत विश्व का कदाचित् एकमात्र ऐसा भूखण्ड है जिस पर एक - दो नहीं अपितु अनेक महान् सभ्यताकारिणी नदियाँ प्रवाहित हो रही हैं। इन नदियों में से प्रत्येक विश्व की किसी महान् सभ्यता को जन्म देने एवं पोषित करने में समर्थ है।
भारत भूमि पर उत्तर से दक्षिण की ओर चलना प्रारम्भ करें तो पहले सिन्धु नदी और उसकी सहायक पंजाब की पाँच नदियों के दर्शन होते हैं। आगे, भारत के मध्य में, यमुना, सरयू, गण्डक, कोसी और इन सबको अपने में समाहित करती हुई गंगा नदी प्रवाहित हो रही है और आगे पूर्व में ब्रह्मपुत्र आसाम एवं बांग्लादेश के मैदानों से बहती हुई गंगा में आ मिलती है। नर्मदा और तपती पूर्व से पश्चिमकी ओर बहती हुई दक्षिणापथीय पठार के उत्तरी भाग और मध्यप्रदेश , गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनेक भागों का सिंचन करती हैं।
पश्चिम से पूर्व की ओर बहती हुई गोदावरी महाराष्ट्र और आन्ध्रप्रदेश को उर्वर बनाती है। महानदी मध्यप्रदेश एवं उत्तरी ओडिसा से प्रवाहित होती है। कृष्णा और कावेरी आन्ध्र, कर्नाटक एवं तमिलनाडु को समृद्धि प्रदान करती हैं। जिन नदियों का यहाँ नाम लिया गया है वे भारत की सर्वोत्कृष्ट नदियाँ हैं , इनमें से प्रत्येक की गिनती विश्व की महान् नदियों में होती है। इनके अतिरिक्त किञ्चित् लघु विस्तारवाली अनेक नदियाँ हैं, जिनसे भारतके प्रायः समस्त भागों का सिंचन होता है।
विश्वमें इतने बड़े विस्तार का कदाचित् ही अन्य कोई भूखण्ड हो जहाँ नदियों का ऐसा बाहुल्य है। भारत के लोग नदियों के रूप में प्राप्त प्रकृति की इस विलक्षण सम्पदाके लिये सदैव कृतज्ञ रहे हैं। वे प्रातः स्नान के समय नित्य इन नदियों का नामस्मरण करते हैं और उनके प्रति श्रद्धानत होते हैं।
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