विश्व का सर्वाधिक जनाकीर्ण देश भारत


भारत भूमि असाधारण प्राकृतिक सम्पदा से अभिमण्डित है। अतः स्वाभाविक ही है कि इस भूमि पर व्यापक जनसमाज का भरण-पोषण होता रहा है। प्रायः आधुनिक काल तक भारतीय सभ्यता विश्व की अन्य सब बड़ी सभ्यताओं की तुलना में अधिक जनसंकुल रही है। 
जनसांख्यि की विज्ञान के आधुनिक विद्वानों के अनुमानानुसार सोलहवीं ईसवी शताब्दी के अन्त तक भारत की जनसंख्या विश्व में सर्वाधिक थी। चीन भारत के तुरन्त पीछे दूसरे स्थान पर हुआ करता था। फ़रिश्ता का 1600 ईसवी का अनुमान है कि 1100 ईसवी में भारत की जनसंख्या 60 करोड़ थी। पश्चिमी विद्वानों के अनुसार उस समय सम्पूर्ण यूरोपीय क्षेत्र की जनसंख्या मात्र दस करोड़ थी। 
भारतीय सभ्यता के अनेक स्रोतग्रन्थ एकमत हैं कि भारत भूमि पर पाँच लाख ग्रामों का वास है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में कहा गया है कि एक ग्राम में एक से पाँच सौ तक कुटुम्ब होते हैं। इसका तात्पर्य है कि भारतीय सभ्यता के उत्कृष्ट कालों में भारत में पाँच से पच्चीस करोड़ तक कुटुम्ब हुआ करते थे। 
आज भारतीय विश्व के बड़े समुदायों में चौथे स्थान पर आते हैं। यूरोपीय, चीनी और मुसलमान क्रमशः पहले, दूसरे एवं तीसरे स्थान पर हैं। मानवता के प्रायः सम्पूर्ण इतिहास में भारतीय मानव समुदाय का अधिकांश रहे हैं। आज हम विश्व की जनसंख्या का मात्र छठा भाग हैं।

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