अनन्य भारतीय संस्कृति
भारत की भौगोलिक अभेद्यता में भारतीय संस्कृति को अनन्यता का रहस्य निहित है। भारतीय चिन्तन एवं भारतीय संस्थानों का अन्य किसी सभ्यता से कोई सादृश्य नहीं है। भारतीय चिन्तन एवं संस्थानों का अपना एक विशिष्ट रूप है , उनका अपना ही एक विशिष्ट भाव है।
विदेशों से यदा-कदा भारत में पहुँच जाने वाले तत्व भारतीय चिन्तन एवं संस्थानों के अनुसार रूपान्तरित हो उन्हीं में समाहित होते गये हैं । बाह्य - शक्तियों ने भारत पर राजनैतिक विजय चाहे कभी पायी हो , सभ्यता एवं संस्कृति के स्तर पर भारत कभी विजित नहीं हुआ। भारत को यह विशिष्ट संस्कृति भारत के सम्पूर्ण भौगोलिक क्षेत्र के प्रायः समस्त भागों में व्याप्त है।
सब स्थानों पर यह विशिष्ट भारतीय संस्कृति स्थानीय एवं देशज विविधताओं से प्रभावित एवं रूपान्तरित हुई है। परन्तु भारतीय उपमहाद्वीप में उपस्थित किसी प्रकार के कोई भौगोलिक अथवा सामाजिक प्रतिरोध इस सर्वसामान्य मूलभूत संस्कृति के सब स्थानों पर व्याप्त होने में बाधा नहीं बन पाये। भारत की यह मूलभूत संस्कृति अपने भीतर अनेक विविधताएँ समेटे हुए है, तथापि इसकी विशिष्ट भारतीयता सब स्थानों पर स्पष्ट परिलक्षित होती है ।
किंग्सले डेविस , 1951
Right
ReplyDeleteThanks for comment
DeleteVery important knowledge
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