भारत की खनिज सम्पदा
भारत भूमि पर अपार खनिज सम्पदा उपलब्ध है। इस सम्पदा के आधारपर भारतकी औद्योगिक विकासको सम्भावनाएँ विश्वमें तीसरे स्थानपर आँकी जाती हैं । भारत में लौह - अयस्क के प्रचुर , व्यापक एवं उत्कृष्ट भण्डार हैं । लौह - अयस्कके प्रमाणित भण्डारों की मात्रा 12 अरब टन है। हमारे आज के उत्पादन एवं उपयोग के स्तर पर ये भण्डार 300 वर्षों के लिये पर्याप्त हैं।
भारत में 2 खरब 20 अरब टन कोयले एवं भूरे कोयले के भण्डार हैं। भारतीय कोयले में राख का अंश किञ्चित् अधिक होता है, परन्तु उत्खनन और उपयोग के वर्तमान स्तर पर ये भण्डार 750 वर्षों तक पर्याप्त हैं। अपेक्षाकृत नवीन धातुओं के अयस्कों के विषय में भारत और भी समृद्ध है। एल्यूमिनियम - अयस्क बॉक्साइट के भारतीय भण्डार विश्व के सबसे बड़े भण्डारों में गिने जाते हैं।
इल्मेनाइट के प्रमाणित भारतीय भण्डार विश्व में सर्वाधिक हैं । ' विरल - मृदा ' नामक विशिष्ट खनिजों के भारतीय भण्डार केवल चीन से न्यून पड़ते हैं। विरल - मृदाओं में से एक थोरियम के भारत में 3 लाख 60 सहस्र टनके भण्डार हैं। ये भण्डार 10 लाख मेगावाट की नाभिकीय ऊर्जाकी क्षमता स्थापित करने और उसे 240 वर्षां तक चलाते रहने में सक्षम हैं।
महत्त्वपूर्ण धात्विक एवं अधात्विक खनिजों के भारतीय भण्डार अधिकतर प्रचुर से मध्यम की श्रेणी में आते हैं। न्यूनता केवल कच्चे तेल की है। कच्चे तेल के भण्डारों का समुचित पर्यवेक्षण अभी नहीं हुआ है । परन्तु इस न्यूनता की पूर्ति सौर ऊर्जा, कोयले एवं नाभिकीय ऊर्जा के लिये आवश्यक खनिजों के प्रचुर भण्डारों के सम्यक् उपयोग से सर्वदा सम्भव है।
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