भारत की वनस्पति एवं पशु सम्पदा
भारत भूमि उर्वरा मृदा, प्रचुर जल एवं उष्ण-सिक्त जलवायु से सम्पन्न है। अतः यहाँ वनस्पतियों, पशु पक्षियों एवं जीव-जन्तुओं की अनन्त जातियाँ सहज सम्भव हैं। भारतमें वनस्पतियों की 45 सहस्र (हज़ार) जातियाँ पायी जाती हैं । इनमें से 35 प्रतिशत भारतीय क्षेत्र की विशिष्ट जातियाँ हैं, ये विश्व में कहीं अन्यत्र प्राकृतिक रूप में नहीं मिलती।
विश्व के वानस्पतिक वैविध्य से सर्वाधिक सम्पन्न क्षेत्रों में भारत की गणना होती है । भारत में पशु-पक्षियों एवं जीव - जन्तुओं की 75 सहस्र जातियाँ मिलती हैं। यह इस धरा पर उपलब्ध प्राणिजगत्की समस्त जातियों का बारहवाँ भाग है। भारत भूमिका भौगोलिक विस्तार पृथिवी का मात्र चालीसवाँ भाग है। भारत अपने यहाँ पाये जानेवाले सूक्ष्मजीवियों के वैविध्य के लिये भी विख्यात है।
भारतवासी प्राचीनकाल से अपने वनस्पति एवं प्राणि जगत का गहनता से अध्ययन करते रहे हैं। चरकसंहिता एवं सुश्रुतसंहिता जैसे आयुर्वेद के स्रोतग्रन्थों में वर्णित वनस्पतियों , पशु - पक्षियों एवं जीव-जन्तुओं की संख्या असाधारण है। वनस्पति एवं प्राणिजगत के ज्ञान की व्यापकता एवं गहनता में केवल चीनी सभ्यता के चिकित्सा-सम्बन्धी स्रोतग्रन्थ आयुर्वेद के किंचित समकक्ष कहे जा सकते हैं।
क्या भारतवर्ष विश्व में, प्राणियों एवं वनस्पतियों के सर्वाधिक किस्मों से समृद्ध है?
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