भारत अपनों का भरणपोषण करना जानता है


चीनी बौद्ध विद्वान् फाह्यान पाँचवी शताब्दी के प्रारम्भ में भारत यात्रा पर आये। उनके यात्रावृत्त में मगधराज्य का वर्णन इस प्रकार हुआ है इस देश के सामन्तों एवं गृहस्थों ने नगर में चिकित्सालयों की स्थापना की है। सब दिशाओं से दरिद्र असहाय विकलांग एवं रोगी इन चिकित्सालयों में पहुँचते हैं। 
वहाँ इन्हें सब प्रकार की आवश्यक सहायता निःशुल्क प्राप्त होती है। चिकित्सक उनके रोग का निदान करते हैं और आवश्यकतानुसार उनके लिये भोजन , पेय , औषध एवं अनुपान आदि की व्यवस्था की जाती है। वस्तुतः उनके व्याधि - शमन के लिये सब वांछनीय पदार्थ उन्हें उपलब्ध करवाये जाते हैं। स्वस्थ होने के उपरान्त वे अपनी सुविधानुसार वहाँ से प्रस्थान करते हैं।

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