भारत के कृषि वैभव पर विश्व विस्मित होता रहा है (क्रमशः भाग-2)
सत्रहवीं ईसवी शताब्दी के फ्रांसॉय बर्नियर बंगालके सन्दर्भ में लिखते हैं सब कालों के अध्येता मिस्र को विश्व की श्रेष्ठतम एवं सर्वाधिक उर्वरा भूमिका गौरव देते रहे हैं। हमारे आधुनिक लेखक भी ऐसा मानते हैं कि मिस्र जैसी प्राकृतिक सम्पदा से सम्पन्न कोई अन्य भूमि नहीं है। बंगाल की अपनी दो यात्राओं में मैं उस देश के विषय में जो जान पाया हूँ उसके आधार पर मेरा तो यही मत बना है कि मिस्र को दिये जाने वाले गौरव का वास्तविक अधिकारी बंगाल है। बंगाल में धानकी ऐसी प्रचुर उपज होती है कि उससे न केवल पड़ोसी प्रदेशोंकी अपितु सुदूर राज्योंकी आवश्यकताओंका संभरण भी होता है। बंगाल का धान गंगा पर धारा से विपरीत दिशा में पटना तक ले जाया जाता है। समुद्र मार्ग से इसे चोलमण्डल तट के मछलीपत्तनम् एवं अन्य अनेक पत्तनों तक पहुंचाया जाता है। अनेक विदेशी राज्यों में भी प्रधानतः श्रीलंका एवं मालदीव द्वीपों में यहाँका धान पहुँचता है। इसी प्रकार बंगाल में चीनी की भी बहुलता है। यहाँ को चीनी गोलकोण्डा एवं कर्नाटक प्रदेशो तक जाती है। ... यहाँ के सामान्य लोगोंके मुख्य भोजन में घी - चावल के अतिरिक्त ती