समाजनीति और भारत

राष्ट्र निर्माण के कार्य में प्रमुख महत्त्व लोगों के उत्साह एवं निष्ठा का ही होता है। राष्ट्र के लोग जब आत्मविश्वास एवं दृढ़ संकल्प के साथ अपने किसी लक्ष्य की ओर चल निकलते हैं तो उस लक्ष्य तक पहुँचने के लिये समुचित साधनों , तकनीकों एवं व्यवस्थाओं आदि का सृजन तो वे सहज ही करते चले जाते हैं । बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में महात्मा गाँधी ने भारतवर्ष में ऐसे ही दृढ़ संकल्प एवं आत्मविश्वास का संचार किया था और तब भारत के लोगों ने अपनी समस्त शक्ति को सहेजकर अपने - आप को स्वतन्त्रताप्राप्ति के महान् कार्य में लगा दिया था । उस संकल्प एवं विश्वास के बलपर हम न केवल अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हुए , अपितु अपने उस अभूतपूर्व स्वतन्त्रता - संग्राम को सम्पन्न कर हमने सम्पूर्ण विश्वको अनेक विलक्षण विचारों एवं विधाओं से समृद्ध किया। स्वतन्त्रताप्राप्ति के पश्चात् हमने स्वतन्त्रता - संग्राम के दिनों के उस दृढ़ संकल्प एवं अविचल आत्मविश्वास को कहीं खो दिया है। दीर्घ राजनैतिक दासता ने हमें वैचारिक एवं व्यावहारिक तमस के गहन अन्धकार में धकेल दिया था। महात्मा गाँधी...